आमतौर पर मदरसों को इस्लामिक शिक्षा के लिए जाना जाता है। और यह भी कि इसमें सिर्फ मुसलमान विद्यार्थी ही पढ़ते है। लेकिन पश्चिम बंगाल के मदरसों से एक चैंकानें वाला आंकडा सामने आया है। यहां हिन्दू विद्यार्थी मदरसों की ओर आकर्शित हो रहे हैं।
राज्य के चार मदरसो मे हिन्दू विद्यार्थियो की संख्या सबसे ज्यादा है। इनमे उतरी दिनाजपुर जिले का कासबा एम एम हाई मदरसा, कूच बिहार का इकमुखा साफियाबाद मदरसा, बर्दवान का ओरग्रम चेतुसपल्ली हाई मदरसा और मिदनापुर का चन्द्रकोना हाई मदरसा शामिल है। यहां हिन्दू विद्यार्थियो की संख्या 57 से 64 प्रतिशत है।
पश्चिम बंगाल मदरसा शिक्षण बोर्ड के अध्यक्ष के अनुसार कासबा के 1077 मे से 618 ओरग्रम के 868 मे से 554 चन्द्रकोना के 312 और इकमुखा के 480 विद्यार्थियों मे से 290 विद्यार्थी हिन्दू है। उनके अनुसार मदरसे अब इस्लामिक शिक्षा के साथ अब आधुनिक शिक्षा पर भी जोर दे रहे है। 42 मदरसों मे कम्पयूटर प्रयोगशालाए है। जिन्हे 2009 तक सौ तक किए जाने की उम्मीद है। करीब सौ से ज्यादा मदरसे व्यवसायिक शिक्षा भी दे रहे हैं। इसमें टेलरिंग से लेकर मोबाइल तकनीक का प्रशिक्षण की सुविधा भी है।
पश्चिम बंगाल में कुल 506 मदरसे है। इनमे 17 प्रतिशत विद्यार्थी और 11 प्रतिशत शिक्षक गैर मुस्लिम है। चन्द्रकोना मदरसे के सह अध्यापक बिभास चन्द्र धुरई के अनुसार इस मदरसे के एक किलोमीटर के दायरे मे सात स्कूल हैं। फिर भी लोग अपने बच्चों को यहां भेजते है। स्कूलों में उन्हें 375 रु फीस देनी पड़ती है जबकि मदरसो में 110 रु ही फीस है। बोर्ड के अध्यक्ष के अनुसार मदरसे विद्यार्थियों और उनके परिजनो का विश्वास पाने मे सफल हो चुके हैं। मदरसों पाठ्यक्रम भी राज्य माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से अलग नही है। इनके सर्टिफिकेट की मान्यता किसी अन्य राष्ट्रीय स्तर के बोर्ड के बराबर ही है।
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