Wednesday, March 18, 2009

दोस्ती का वो आलम

जैसे ही सुबह उठकर मेरी नज़र घड़ी पर पड़ी अचानक मैं चौंक गया। सुबह के नौ बज चुके थे। जल्दी से मैं नहा-धोकर कॉलेज पहुँचा। यह बात तब की है जब मैं बीएससी थर्ड ईअर का स्टुडेंट था। कॉलेज के वे दिन भी बड़े निराले थे। क्लास की तो क्या हमें यह तक नहीं पता होता था कि पीरिअड किस सब्जेक्ट और किस टीचर का है। खैर, जब मैं कॉलेज पहुँचा तब तक मेरे सभी दोस्त आ चुके थे। आज का दिन भी बड़ा निराला था। दिन था हमारी फेअरवेल पार्टी का। बीएससी की हमारी पढ़ाई अन्तिम दौर पर थी। परीक्षाओं की तिथियाँ घोषित हो चुकीं थीं। यह पार्टी बीएससी सेकंड ईअर के स्टूडेंट्स की तरफ़ से दी जा रही थी।

सेकंड ईअर के स्टूडेंट्स ने तिलक लगाकर पार्टी हॉल में हमारा स्वागत किया। प्रिंसिपल और टीचर्स के लेक्चर्स के बाद हमारी पार्टी शुरू हुई। पार्टी में खूब नाच-गाना हुआ। शाम को जब पार्टी ख़त्म हुई तब नज़ारा कुछ और था। सालों पुराने वे दोस्त केवल कुछ ही समय के लिए हमारे साथ थे। कुछ समय बाद वे कहाँ होंगे किसी को कुछ नहीं पता था। उस वक्त वहां पर एक अजीब सा माहौल था। पार्टी ख़त्म हुई और मैं अपने घर आ गया।

घर मैं आ तो गया लेकिन उस दिन मुझे घर का माहौल कुछ अजीब लग रहा था। ऐसा लग रहा था जैसे कि मानों कुछ चीज है जो मुझसे दूर जा रही है और मैं उसे चाह कर भी रोक नहीं पा रहा हूँ। आंखों में आंसू और दिल में दोस्तों से बिछड़ने का गम था। कॉलेज से निकले हुए और उन दोस्तों से दूर रहते हुए आज मुझे तीन साल हो गए हैं। उस समय के कुछ दोस्तों से आज मेरा संपर्क हो जाता है। जब मैं उनसे मिलता हूँ तो दिल में एक अलग खुशी महसूस होती है।

आज जब मैं यह ब्लॉग लिख रहा हूँ तो सोचता हूँ कि दोस्तों के साथ दोस्ती का आलम भी कितना गहरा होता है। सुख-दुःख में काम आने वाला दोस्त जब सालों तक साथ रहने के बाद बिछड़ता है तो उसके बिछड़ने का गम सहा नहीं जाता। साथ-साथ रहना, गप्पें मारना, लड़कियों को देखना और उन पर कमेन्ट मारना, चाय या कोल्ड ड्रिंक पीना और पैसे उसी से दिलवाना। दोस्तों के साथ बिताये ये क्षण ऐसे होते हैं जो कि जिंदगी में कभी दुबारा नहीं आते हैं।

आज जब मैं कॉलेज में दोस्तों के साथ बिताये उन पलों को याद करता हूँ तो दिल से किसी शायर की कही हुईं ये दो पंक्तियाँ याद आती हैं-
दोस्त, दोस्त के लिए खुदा होता है।
यह एहसास तब होता है जब वह दोस्त से जुदा होता है।।


2 comments:

  1. अपने कॉलेज लाइफ के उन पलो को बड़ी ही सजीदगी से प्रस्तुत किया है . लेकिन राजेश जी आपने जो यह बताया है न की मजाक में दोस्तों से पैसा खर्च करने की आदत थी तो वो आदत तो apki आज भी apke साथ है. आप आज भी नहीं badle है. और यह पल तो apki लाइफ में हमेशा aayenga. pavit and bharat

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  2. जियो राजेश ! यहाँ भी तुमने दोस्तों को खूब बेवकूफ बनया. हम तो सोचते थे कि तुम्हारे पास सच में पैसे नहीं हैं. तुमने सच बताया भी तो आखिरी वक़्त में. खैर अब हम तुम्हारी आदत जान चुके हैं आगे से सावधान रहेंगे.

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