Tuesday, December 7, 2010

लोकतंत्र के लिए शर्मनाक ;बसपा के नेता ने चुनाव जीतने के लिए करवाया अपहरण

उत्तर प्रदेश में बसपा सरकार के शासन में अराजकता कितनी बढ गयी है इसका उदाहरण बसपा नेता पूर्व सांसद भालचंद यादव द्वारा अपने पुत्र को जिताने के लिए जिला पंचायत सदस्यों का अपहरण करना है।
रविवार को उत्तर प्रदेश के सिद्धार्थनगर जिला न्यायालय व कलेक्ट्रेट के सामने गुंडई की जो घटना हुई वह यहाँ के इतिहास में पहली बार है। दबंगों ने जिले के माथे एक कलंकित दास्तान लिख दी, जबकि डीएम व एसपी घटना से चंद कदमों की दूरी पर बैठे हुए थे। सैकड़ों पुलिस कर्मियों व भीड़ के समक्ष एक पूर्व जिला अध्यक्ष साधना चौधरी गिड़गिड़ाती व बिलबिलाती रहीं और असलहों की नोक पर दबंग उनके दो प्रस्तावकों को उठा ले गये।
भाजपा समर्थित प्रत्याशी साधना चौधरी के मुताबिक वह दोपहर 1।45 बजे अपने प्रस्तावकों समेत पैदल कलेक्ट्रेट की तरफ जा रही थी। इस दौरान दूसरे प्रत्याशी के समर्थकों ने असलहे का प्रदर्शन करते हुए उनके प्रस्तावक/जिला पंचायत सदस्य राजाराम लोधी व प्रेम नारायण को जबरिया एक लक्जरी वाहन में बैठा लिया और फरार हो गये। इसका विरोध करने पर दूसरे प्रत्याशी के समर्थकों ने साधना चौधरी के पुत्र सिद्धार्थ चौधरी व भाजपा कार्यकर्ताओं से मारपीट की।
नामांकन के बाद अपराह्न 3 बजे से हुई जांच के दौरान जिलाधिकारी द्वारा प्रस्तावक की गैरहाजिरी के सवाल पर साधना चौधरी ने बताया कि उनके प्रस्तावक को अगवा कर लिया गया है, ऐसे में उनकी उपस्थिति संभव नहीं है। उन्होंने बताया कि अपहरण के मामले में उन्होंने सदर थाने में नामजद तहरीर भी दिया है।
रविवार दोपहर ने बदनामी की जो दास्तान लिखी उससे जनपदवासी वर्षो उबरने वाले नहीं हैं। ठीक उस वक्त जब जिलाधिकारी प्रज्ञान राम मिश्र व पुलिस अधीक्षक महेश कुमार मिश्रा नामांकन कक्ष में बैठकर नामांकन कार्य में लगे हुए थे, बाहर मर्यादा की धच्जियां उड़ाई जा रही थीं। ऐसा भी नहीं था कि बाहर फोर्स की कोई कमी थी। दो पुलिस क्षेत्राधिकारी, छह थानाध्यक्ष समेत सैकड़ों पुलिस कर्मी कलेक्ट्रेट द्वार से लेकर इर्द-गिर्द मोर्चा संभाले हुए थे। यही नहीं कलेक्ट्रेट के दोनो तरफ बैरियर बनाये गये थे। बावजूद इसके दर्जनों चौपहिया वाहन भीतर कैसे पहुंचे। इसका आसान सा जवाब यही है कि बिना प्रशासनिक मिली भगत के नहीं। यही नहीं हाथों में असलहा लहराते हुए उन्होंने सारी मर्यादाएं तार-तार कर दीं। नियमत: जिले में धारा 144 लागू है। बावजूद इसके लोग एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों की संख्या में नजर आये। इतना ही कलेक्ट्रेट परिसर के ठीक बाहर लगा पंडाल तथा वहां मौजूद दर्जनों कुर्सियां इस बात की गवाही देने के लिए काफी हैं कि सबकुछ प्रशासन की जानकारी में था। घटना के ऐन मौके पर सभी मीडिया कर्मियों को एक व्यक्ति द्वारा गुमराह किया जाना भी साजिश का एक अंग बताया जाता है। बाद में मीडिया कर्मी जब प्रेस कांफ्रेंस के लिए लोनिवि विभाग के डाक बंगले पर पहुंचे तो पता चला कि वहां प्रेस कांफ्रेंस की कोई तैयारी ही नहीं थी। आनन-फानन में जब वह लौटकर कलेक्ट्रेट परिसर के पास पहुंचे तो पता चला कि सामने असलहा लहराते हुए दबंगों की फौज, जिला पंचायत अध्यक्ष पद की भाजपा प्रत्याशी व पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष साधना चौधरी के दो प्रस्तावकों को अगवा करने में लगे हुए थे। इस दौरान कुछ मीडिया कर्मियों को दबंगो चेतावनी भी दी कि यदि उन्हें कवरेज की कोशिश की तो अच्छा नहीं होगा। जाहिर है कि सबकुछ प्री-प्लान था। इस दौरान अज्ञात दबंगों ने साधना चौधरी के पुत्र सिद्धार्थ चौधरी के ऊपर वाहन चढ़ाने की भी कोशिश की, यह और बात थी कि बगल होकर उसने अपने आप को बचा लिया।
सिद्धार्थनगर में पिछले कुछ महीनों से संतकबीर नगर के बसपा नेता पूर्व सांसद भालचंद यादव हाल ही में हुए पंचायत चुनाव में धन बल -बाहुबल से अपने पुत्र प्रमोद यादव को जिला पंचायत सदस्य बनाने में सफल रहे। इसके बाद रविवार को उनके गुंडों ने लोकतान्त्रिक मूल्यों को तार-तार कर दिया। मजे कि बात यह है कि यह सारी घटना जिले में तब हुयी जब प्रदेश सरकार के पंचायती राज्य मंत्री दद्दू प्रसाद डाक बगले पर मौजूद थे.
हालांकि जिलाधिकारी प्रज्ञान राम मिश्रा का कहना है कि पुलिस अधीक्षक से घटना की आख्या मांगी गयी है और जो भी दोषी मिलेगा, उसके विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जायेगी।
"मशाल"