Tuesday, November 26, 2019

पहले वाली बात नहीं है

विश्वसनीय साख नहीं है
दिल अब इसके पास नहीं है
मुगलों की इस दिल्ली में
पहले वाली बात नहीं है।


जिस दिल्ली के शौर्य का डंका
दूर-दूर तक बजता था
जिस दिल्ली का हिस्सा होना
हर राजा का सपना था
जिस दिल्ली की सुंदरता
एक सम्मोहन के जैसा था
जिस दिल्ली की सीमा पर
अभेद किले सा पहरा था।

उस दिल्ली की हवा में अब तो
सुबह- शाम दम घुटता है
उस दिल्ली की दशा देखकर
रूह भी अब कांप उठता है
उस दिल्ली के शोर में अब तो
कई चीखें दब जाती है
उस दिल्ली की पावन यमुना
अब नाली कहलाती है।

प्रेम-प्यार की बातें करती
मधुर मिलन की रात नहीं है
दिलवाले की दिल्ली में अब
पहले वाली बात नहीं है।





Monday, November 25, 2019

आलोचना नहीं करूंगा

मैं सरकार का समर्थक
आलोचना नहीं करूंगा
प्याज भले हो जाए 70 पार
टमाटर क्यों ना हो जाए लाल
सेठ साहूकार हो जाएं मालामाल
भले आम जनता हो जाए कंगाल
मैं सरकार का समर्थक
आलोचना नहीं करूंगा।
भले उच्च डिग्री लेकर हाथ मलना पड़े
परिवार चलाने के लिए पकौड़ा तलना पड़े
45 सालों का रिकॉर्ड भले टूट जाए
किस्मत सदा के लिए चाहे रूठ जाए
मैं सरकार का समर्थक
आलोचना नहीं करूंगा।
चौथे स्तंभ पर छाने लगे संकट
संपादक की जगह ले ले कोई लंपट
मीडिया सेट करने लगे एजेंडा
देश में फैलाने लगे प्रोपोगेंडा
मैं सरकार का समर्थक
आलोचना नहीं करूंगा।
विश्व पटल पर रुपए का गिरने लगे भाव
बाज़ार में निवेशकों कम हो जाए चाव
भले उत्पादन पर लग जाए पूर्ण विराम
कर्मचारी करने लगे घर में आराम
मैं सरकार का समर्थक
आलोचना नहीं करूंगा।