Tuesday, November 26, 2019

पहले वाली बात नहीं है

विश्वसनीय साख नहीं है
दिल अब इसके पास नहीं है
मुगलों की इस दिल्ली में
पहले वाली बात नहीं है।


जिस दिल्ली के शौर्य का डंका
दूर-दूर तक बजता था
जिस दिल्ली का हिस्सा होना
हर राजा का सपना था
जिस दिल्ली की सुंदरता
एक सम्मोहन के जैसा था
जिस दिल्ली की सीमा पर
अभेद किले सा पहरा था।

उस दिल्ली की हवा में अब तो
सुबह- शाम दम घुटता है
उस दिल्ली की दशा देखकर
रूह भी अब कांप उठता है
उस दिल्ली के शोर में अब तो
कई चीखें दब जाती है
उस दिल्ली की पावन यमुना
अब नाली कहलाती है।

प्रेम-प्यार की बातें करती
मधुर मिलन की रात नहीं है
दिलवाले की दिल्ली में अब
पहले वाली बात नहीं है।





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