Sunday, December 8, 2019

देखो आगे क्या होता है?

मुझको बस इतना ही कहना
सुन लो देश की हर एक बहना
लोक-लाज की खातिर अब तुम
कभी किसी का जुल्म ना सहना।

अब विनती काम ना आएगी
तू कितना भी चिल्लाएगी
समाज यहां का अंधा है
अब रोज का ये ही धंधा है।

सिर्फ शहर बदलता रहता है
सब पहले जैसा रहता है
हर बार प्रदर्शन होता है
देखो आगे क्या होता है।









Saturday, December 7, 2019

अक्षर ही असली पूंजी है


कंधे पर बस्ता है भारी
पीठ पे ढोना है लाचारी
लेना है जो इसका ज्ञान
इसे उठाने में ही शान।

पर जो इससे घबराता है
पढ़ने से वो कतराता है
फिर जीवन भर पछताता है
और पीठ पे कचड़ा लाता है।

इसलिए कहा मेरा मानो
और रोज सुबह जल्दी जागो
स्वस्थ हमें जो रहना है
तो मॉर्निंग वॉक भी करना है।

एक अच्छा बाबू बनना है तो
नैतिक शिक्षा का पाठ करो
एक अभियंता जो बनना है तो
गणित का खूब अभ्यास करो।

पढ़-लिखकर अच्छा काम करो
मां-बाप का जग में नाम करो
अध्ययन जीवन की कुंजी है
अक्षर ही असली पूंजी है।

आकाश कुमार 'मंजीत'






Friday, December 6, 2019

भाभी सुख की चाभी

हम जिनको कहते हैं भाभी
उनके पास है सुख की चाभी
इन चाभी के गुच्छों की
बहुत बड़ी है जिम्मेदारी।

घर की मालकिन कहलाती है
पशुओं को भी नहलाती है
घर के सारे काम वो करती
सब के दिल पे राज वो करती।

घर में प्रेम की वर्षा होती
किस्मत पर वो कभी ना रोती
मेहनत पर है उन्हें यकीन
कविता लिखने की शौकीन

जब से बनी है घर की मुखिया
नहीं कोई है घर में दुखिया
घर लगता अब मंदिर जैसा
यही है असली रुपया-पैसा।

आकाश कुमार 'मंजीत'




Sunday, December 1, 2019

हर शहर हर गांव में ये बीमारी है

रात काली है, घोर लाचारी है
हैवान घूमते हैं सड़क पर
बनाने किसी अबला को शिकार
हर शहर, हर गांव में ये बीमारी है।


बहुत मेहनत की ये मुकाम पाने में
कई मुश्किलें पार की यहां आने में
क्या बिगाड़ा था हमने किसी का?
क्यों नहीं हाथ कांपा? मुझे जलाने में।