हम जिनको कहते हैं भाभी
उनके पास है सुख की चाभी
इन चाभी के गुच्छों की
बहुत बड़ी है जिम्मेदारी।
घर की मालकिन कहलाती है
पशुओं को भी नहलाती है
घर के सारे काम वो करती
सब के दिल पे राज वो करती।
घर में प्रेम की वर्षा होती
किस्मत पर वो कभी ना रोती
मेहनत पर है उन्हें यकीन
कविता लिखने की शौकीन
जब से बनी है घर की मुखिया
नहीं कोई है घर में दुखिया
घर लगता अब मंदिर जैसा
यही है असली रुपया-पैसा।
आकाश कुमार 'मंजीत'
इन चाभी के गुच्छों की
बहुत बड़ी है जिम्मेदारी।
घर की मालकिन कहलाती है
पशुओं को भी नहलाती है
घर के सारे काम वो करती
सब के दिल पे राज वो करती।
घर में प्रेम की वर्षा होती
किस्मत पर वो कभी ना रोती
मेहनत पर है उन्हें यकीन
कविता लिखने की शौकीन
जब से बनी है घर की मुखिया
नहीं कोई है घर में दुखिया
घर लगता अब मंदिर जैसा
यही है असली रुपया-पैसा।
आकाश कुमार 'मंजीत'
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