Samvad संवाद
प्रायोगिक चिट्ठा
Sunday, December 1, 2019
हर शहर हर गांव में ये बीमारी है
रात काली है, घोर लाचारी है
हैवान घूमते हैं सड़क पर
बनाने किसी अबला को शिकार
हर शहर, हर गांव में ये बीमारी है।
बहुत मेहनत की ये मुकाम पाने में
कई मुश्किलें पार की यहां आने में
क्या बिगाड़ा था हमने किसी का?
क्यों नहीं हाथ कांपा? मुझे जलाने में।
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