मुझको बस इतना ही कहना
सुन लो देश की हर एक बहना
लोक-लाज की खातिर अब तुम
कभी किसी का जुल्म ना सहना।
अब विनती काम ना आएगी
तू कितना भी चिल्लाएगी
समाज यहां का अंधा है
अब रोज का ये ही धंधा है।
सिर्फ शहर बदलता रहता है
सब पहले जैसा रहता है
हर बार प्रदर्शन होता है
देखो आगे क्या होता है।
No comments:
Post a Comment