Saturday, January 20, 2018

भैया की तरह मुझे पढ़ने दो

शादी की जल्दी क्यों पापा?
भैया की तरह मुझे पढ़ने दो
है डगर कठिन, पर शिखर नहीं
है धोर अँधेरा, फिकर नहीं
इस अँधेरे से लड़ने दो
भैया की तरह मुझे पढ़ने दो
----------------------------
ये घर भी मेरा अपना है
पढ़ना-लिखना मेरा सपना है
बेटी अफसर बन सकती है
घर की ज्योति बन सकती है
है विघ्न-बाधा तो रहने दो
मुझे जीवन पथ पर बढ़ने दो
------------------------------
सुखोई भी है अपने जद में
सर्वोच्च शिखर अपने पद में
सत्ता भी चला कर देखा है
इन हाथों में ऐसी रेखा है
झरना हूं झर-झर बहने दो
कंकड़-पत्थर भी सहने दो
-----------------------------
इन पाँव में बेड़ी मत डालो
शादी को अभी कुछ दिन टालो
मैं कानूनन भी बच्ची हूं
पढ़ने-लिखने में अच्छी हूं
स्वछंद हवा को बहने दो
भैया की तरह मुझे पढ़ने दो

आकाश कुमार 'मंजीत'
------------***--------------


Friday, January 5, 2018

प्रेम की शायरी

दिखा के जलवा हुस्न का मुँह मोड़ा नहीं जाता

जगा के आरजू मुहब्बत का दिल तोड़ा नही जाता

यूं तो मिलते हैं कई मुसाफिर सफर में

थाम लिया जिनका हाथ हमसफर  मानकर राह में इस कदर छोड़ा नहीं जाता

Wednesday, January 3, 2018

सर्दी का सितम जारी

सर्दी का सितम जारी
सूरज पे पहरा भारी है
कइयों का टिकट कट गया
लाइन में मारामारी है।

क्लीनिक में लाइन लंबी
दवा-दारू भी जारी है
शम्भू काका भी चल दिए
काकी की अगली बारी है।

सब पे कहर है बरपा पछुआ की मार जारी
पशुओं का नंबर आया फसलों की भी तैयारी
सर्दी का सितम जारी
सूरज पे पहरा भारी है।

आकाश कुमार  'मंजीत'