Tuesday, December 29, 2009

न्याय या अन्याय

ये कैसा न्याय मिला रूचिका को। इतने सालों के संघर्ष के बाद आखिरकार फैसला आया लेकिन सजा मिली केवल छ: महीने की। शायद यही वजह है कि हमारे देश में लोगों का पुलिस और न्यायपालिका से विश्वास उठता जा रहा है। अगर रूचिका आज जिंदा होती तो इस न्याय को पाने के बाद उसने सचमुच आत्महत्या कर ली होती। ऐसा न्याय आम लोगों को लड़ने के लिए प्रोत्साहन नहीं देता बल्कि उन्हें और तोड़ देता है।

हम केवल उम्मीद कर सकते हैं कि शायद रूचिका की वजह से हमारी न्याय प्रणाली में व्याप्त खामियों का कोई समाधान ढ़ूढ़ने की सार्थक पहल की जाएगी।

उलझ कर रह जाएगा विकास

छोटे राज्यों की माँग लगातार बढ़ती ही जा रही है। कहा जा रहा है कि इससे पिछड़े इलाकों का विकास होगा। मेरा मानना है कि इन राज्यों के बँटवारे पर जितना धन खर्च होगा, वह इन राज्यों के पिछड़े इलाकों में लग जाए तो इनका विकास हो जाएगा।

ऐसा नहीं कि बँटवारा होते ही इन इलाकों में विकास की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। बँटवारे की घोषणा होने के बाद तीन-चार साल बँटवारे की प्रक्रिया पूरी होने में लगेंगे। इसके बाद, बिहार और झारखंड की तरह अधिकारी दोनों राज्यों के बीच झुलते रहेंगे। यही नहीं, एक-दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप का सिलसिला भी पाँच सालों तक चलेगा, हो सकता है इससे भी लंबा चले। इस बीच आम जनता का विकास हो-न-हो, नेताओं का विकास जरूर हो जाएगा। नये मंत्रालय बनेगें, नये विभागों का गठन होगा और लाल बत्ती वाली नई गाड़ियाँ मिलेंगी। हो सकता है, इनमें से कोई नया ‘मधु कोड़ा’ भी बन जाए।

इन राजनीतिक दाँव-पेंचों के बीच वास्तविक विकास कहीं उलझ कर रह जाएगा और आम जनता की हालत वहीं रहेगी जो नया राज्य बनने के पहले थी।

यूनिक आईडी के बाद अब यूनिक नंबर डायल xxx


भारत में सुरक्षा व्यवस्था मजबूत करने के लिए गृह मंत्रालय द्वारा 24 घंटे फ्री हेल्पलाईन लाने की योजना है। इस योजना के आने के बाद आम नागरिक कहीं से भी कोई भी खुफिया सूचना दे सकता है, साथ ही उस व्यक्ति की पहचान भी गुप्त रखी जाएगी। इससे पहले सुरक्षा की नजर से देश के प्रत्येक नागरिक को यूनिक आईडी देने की योजना है। इस यूनिक आईडी का जिम्मा नंदन नीलकेनी पर है। यह आईडी वोटर आईडी कार्ड से भी ज्यादा यूनिक होगी।
इससे पहले भी पुलिस द्वारा गुप्त सूचना प्राप्त करने के लिए टोल फ्री नंबर 100 उपलब्ध है। यह नंबर ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रहा है। इसकी वजह नंबर व्यस्ता या उपरी दबाव के कारण उस पर कार्रवाई नहीं होना है। ऐसे में गृह मंत्रालय विदेशों में चलने वाले नंबर 911 की तर्ज पर एक नया नंबर आम नागरिक को मुहैया कराने वाली है।
कैसे काम करता है नंबर 100
किसी भी फोन से 100 डायल करने पर उस स्थान के नजदीकी पुलिस कंट्रोल रूम (पीसीआर) पर कॉल पहुंचता है। पीसीआर का एक पुलिस का जवान (कॉल आपरेटर) सूचना लेता है और संबंधित अधिकारी तक वह सूचना पहुंचाता है। उस सूचना के आधार पर कार्रवाई की जाती है। डायल 100 छोटे शहरों की आपेक्षा बड़े शहरों में ज्यादा प्रभावशाली है। डायल 100 पर आने वाली सूचनाओं पर कार्रवाई की जाती है लेकिन कुछ वक्त के बाद।
नए नंबर के आ जाने के बाद इसका सीधा संपर्क खुफिया विभाग से होगा। इस नंबर पर आने वाली प्रत्येक कॉल पर उसकी नजर होगी। हर छोटी से छोटी जानकारी को गंभीरता से लिया जाएगा। इस योजना को जिला स्तर तक लाने की बात चल रही है। इससे देश के प्रत्येक जिला का हर एक व्यक्ति को अपनी जिम्मेदारी निभाने का अवसर प्राप्त होगा।
फोटो - गूगल

Tuesday, December 22, 2009

दिल्ली पुलिस की वर्दी फिर हुई दागदार


दिल्ली पुलिस कि जितनी भी ईमानदारी के कसीदे पढ़े जाए सभी रिश्वतखोरी के सामने कम पड़ जाते हैं। दिल्ली पुलिस की वर्दी पर फिर से एक बार रिश्वतखोरी का दाग लग गया है। मामला दिल्ली के इंदिरा गांधी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (आईजीआई) का है। हवाई अड्डे पर पुलिसकर्मी 24 लाख रूपए रिश्वत लेकर 100 टैक्सी को अवैध रूप से चलने का परमिट देते थे। इस धंधे में लगभग 20 दलाल लिप्त हैं जो पुलिस को प्रतिदिन 4 हजार रूपए रिश्वत देते थे। रिश्वत की कुल रकम जोड़ें तो 20 दलाल के प्रतिदिन 4 हजार के हिसाब से 80 हजार रूपए होते हैं। इस तरह पुलिस प्रतिमाह टैक्सी दलालों से 24 लाख रूपए वसूल करती थी। यह रकम भ्रष्ट पुलिस आपस में बांट लेते और पुलिस की वर्दी को बदनाम करने से ना चूकते। पिछले कई महीनों से जारी इस धंधे से पुलिस तो करोड़पति बन गए लेकिन जेब कटी उन टैक्सी ड्राईवरों की जो अपना पेट पालने के लिए कुछ भी करने को तैयार हैं।
आईजीआई पर रिश्वतखोरी रोकने के लिए पुलिस ने नए हथकंडे अपना लिए हैं जिसके तहत अवैध रूप से टैक्सी चलाने वालों पर लगने वाला जुर्माना बढ़ा कर 10 हजार रूपए कर दिया है। जुर्माना बढ़ाने का कारण यह है कि पहले मामूली जुर्माना लगाया जाता था, इसे टैक्सी वाले आराम से देते थे कारण यह जुर्माना उसके दिन भर की आमदनी के मुकाबले बहुत कम थी। दूसरा हवाई अड्डे पर बायोमीट्रिक पहचान प्रणाली लगाई जा रही है जिससे सिर्फ पहचान पत्र वाले को ही काम करने की अनुमति मिलेगी। हवाई अड्डे पर फिलहाल लगभग 1800 अधिकृत टैक्सी ड्राईवर काम कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस की जितने भी ईमानदारी के पुल बांधे जांए लेकिन वो ईमानदारी अंत में आकर ईनामदारी में बदल ही जाती है। पहले ऐसे कई मामले आएं हैं जिसमें दिल्ली पुलिस के जवान ने अपनी ईमानदारी का परिचय दिया है। लेकिन उनकी कामयाबी एक पल में चकनाचूर हो जाता है जब कोई पुलिसवाला रिश्वत लेते पकड़ा जाता है।

ब्लॉग आगंतुकों को मेरा नमस्कार

पहले तो माफी चाहता हूं कुछ महीनों से ब्लॉग पर अनुपस्थित रहने के लिए और कोशिश करूंगा कि ब्लॉग पर लिखता रहूं। अगर आपने बेरोजगारी का बोझ ढोया है तो आपको मुझसे कोई शिकायत नहीं होगी।
धन्यवाद
कौशल विश्वकर्मा