Tuesday, March 17, 2009
आई आई एम् सी के दिन याद रहेंगे
जब में आई आई एम् सी में आया था तब मेरा उतना मन नही लगता था क्यूंकि अपने घर से पहली बार बहार आया था। और ऐसा लगता था की जैसे यहाँ आकर कोई गलती तो नही कर ली है। लेकिन जब यह आखिरी दिन आ गए है अब मेरा यहाँ से जाने का मन नही कर रहा है। पर इस आई आई एम् सी ने मुझे इतने अच्छे दोस्त दिए है की में इन दोस्तों को कभी भी भूल नही सकता हु । हमेशा इन दोस्तों का साथ चाहता हु । इतने अच्छे टीचर मिले है इन्हे कभी भी भुला पाना मुस्किल है । नौकरी पाना एक अलग चीज़ है । और इतने प्यारे दोस्त पाना अलग चीज़ है। हम कोशिश करेंगे की हमेशा साथ में रहे.
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जाते जाते हिन्दी की वर्तनी तो ठीक कर ही लीजिए। अगर हिंदी में टाइप करने के लिए रोमन अक्षरों का सहारा ले रहे हैं तो उससे तुरंत निजात पाइए। संबंध कारकों को छोड़कर बाकी जगहों पर आंख मूंदकर छोटी 'कि' लिखिए। शुभकामनाएं
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