हमारी महिला क्रिकेट टीम वर्ल्ड कप खेलने ऑस्ट्रेलिया पहुँची है यकीनन ज्यादातर को यह नहीं पता होगा कि भारत कि कोई महिला टीम भी है और अगर पता भी हुआ तो शायद ही किसी खिलाड़ी का नाम बता पायें। हम सचिन को क्रिकेट का भगवान् कहते है मगर हममे से कितने लोगों को झूलन गोस्वामी के बारे में पता है और कितने लोग अंजुम चोपडा के खेल से परिचित हैं। सचिन जब अपने विदेश दौरे से घर लौटता है तो हवाई अड्डे पर चाहने वालों और मीडिया कर्मियों का जमाबडा लग जाता है। मगर कितने लोग महिला क्रिकेट टीम के स्वागत में हवाई अड्डे पर घंटों इंतज़ार करते हैं।यूँ तो इस देश में क्रिकेट के दीवानों और इसकी दीवानगी की कोई कमी नहीं है। हर नुक्कड़ , हर गली में क्रिकेट खेलते बच्चे -बूढे इस बात का सबूत हैं कि हम क्रिकेट के कितने बड़े दीवाने हैं। हम तो ऐसे दीवाने है जो खिलाड़ी को देवता समझाते हैं,खेल को धर्म समझते हैं। क्रिकेट के लिए हमारी दीवानगी की शायद ही कोई हद है। मैच जीतते है तो ढोल-नगाडों और आतिशबाजियों से जश्न मानते हैं। मगर हारते ही अपने खेल के देवताओं के पुतलों और उनके घरों को आग लगाने में भी देर नहीं लगाते है। क्रिकेट के जूनून में हम किसी से कम नही है यह हमारे देश का आईपीएल दिखाता है। हम क्रिकेट के इतने बड़े दीवाने है कि करोड़ों रुपयों में खिलाडिओं को खरीद लेते हैं। हम क्रिकेट के सबसे बड़े व्यापारी हैं। क्रिकेट संभालने वाला सबसे धनी बोर्ड हमारा ही तो है।
शायद हमने क्रिकेट को सिर्फ़ पुरुषों का खेल समझा है । क्रिकेट में महिलाओं का क्या काम? और हाँ हमने महिलाओं को क्रिकेट में चीर चीयर लीडर्स का काम तो सौंपा है न।जो भी हो आज नहीं तो कल हम महिला क्रिकेट टीम से वाकिफ हो ही जायेंगे। ऑस्ट्रेलिया पहुँची भारतीय महिला क्रिकेट टीम में प्रतिभाओं कि कोई कमी नहीं है। दुनिया की सबसे तेज़ महिला गेंदबाज की अगुवाई में भारतीय टीम वर्ल्ड कप में भाग ले रहीहै । हमारी इस महिला टीम की कमान एक ऐसी २५ साल की लड़की के हाथ में है जिसे आईसीसी ने दुनिया की सबसे तेज़ गेंदबाज होने के सम्मान से नवाजा है। साथ ही टीम में एक ऐसी भी लड़की भी है जो न सिर्फ़ अपना चौथा वर्ल्ड कप खेल रही है बल्कि अंतरराष्ट्रीय पुरूष क्रिकेट मैचों में दिग्गज कमेंटेटरों के समक्ष बैठ कमेंट्री भी करती है। टीम में रुमेली धर, मिताली राज जैसी दिग्गज खिलाड़ी हैं जिन्होंने वर्ल्ड क्रिकेट में काफ़ी नाम कमाया है। मगर दुर्भाग्य से बहुत कम भारतीय उन्हें जानते है। कब वो दिन आयेगा जब इन्हें तेंदुलकर और धोनी जैसी ख्याति मिलेगी ?????
जब विश्वनाथन आनंद शतरंज का विश्व चैम्पियन का खिताब लेकर भारत लौटता है तो उसे पूछना पड़ता है की क्या उसे भी धोनी की २०/२० विश्व चैम्पियन टीम की ही तरह सम्मान मिलेगा. और एयरपोर्ट पर उसे एक कुत्ता भी इंतजार करता नहीं मिलता. (और आनंद एक पुरुष है)
ReplyDeleteदेश की अधिकतर पढ़ीलिखी लड़कियां नब्बे के दशक से महिला क्रिकेट के बारे में जानती हैं, और यह खेल चैनलों पर लाइव भी दिखाया जाता रहा है, पर महिलाऐं ही इसे देखना पसंद नहीं करती. मैंने भी कुछ लड़कियों से पूछा तो जवाब मिला की 'लेडीज़ क्रिकेट धीमा होता है, इसमें रोमांच नहीं आता'.
वैसे तो महिला फुटबाल विश्व कप का भी कई दशकों से अस्तित्व है पर कितने उसे देखते हैं?