औपचारिक तौर पर आज हमारे बैच का आखिरी दिन है। आज के बाद जहां कुछ लोग किसी संस्थान में नौकरी करने चले जाएंगे वहीं अन्य लोग अलग-अलग मीडिया संस्थानों में इंटर्नशिप करने चले जाएंगे। सही मायने में यह एक नई पारी की शुरुआत है। पर हम जहां भी रहेंगे, आईआईएमसी के क्लास रूम में और संस्थान के कैंपस में बिताए गए दिनों की यादें जेहन में बरकरार रहेंगी। समय-समय पर ये आपको संस्थान में लाती भी रहेंगी। पाठयक्रम के दौरान सबने सही मायने में खुद को जिया है। शब्दों से खेलना उस पत्रकार बिरादरी का पेशा है जिसमें हम सब शामिल हो गए हैं। इसलिए मेरा सुझाव बस इतना है कि इन यादों को शब्दों में बांधकर संवाद पर बयां कर दीजिए। आप सबका सहयोग रहा तो पाठयक्रम के दौरान के कुछ तस्वीरों को इन शब्दों के संग सहेजते हुए एक स्मारिका भी प्रकाशित करने की कोशिश की जा सकती है। जो हमारी यादों का दस्तावेजीकरण होगा।
अच्छा सुझाव है।
ReplyDeleteध्यान रखें कि संस्मरण बहुत लंबा न हो। यादें तो कई तरह की होंगी लेकिन उनमें से जो बहुत खास हो आपकी नजर में,उसे ही साझा करें। पोस्ट करने से पहले उसको ध्यान से पढ़ लें। कॉपी कसी हुई, रोचक हो। इसमें तीन वाचन मददगार हो सकते हैं।