Saturday, April 4, 2020

छुट्टी लगातार है

आज भी छुट्टी कल भी छुट्टी
छुट्टी लगातार है
सारे काम ठप पड़े है
सोना ही एक काम है।

सो सो कर अब उब चुके हैं
निराशा में भी डूब चुके हैं
आशा की कोई किरण दिखे ना
अपने आप से रूठ चुके हैं।

उनलोगों के पौ बारह है
जिनकी अपनी दुकान है
राशन, दूध और सब्जी वाले
आज भी मालामाल हैं।

है जोखिम में उनकी भी जान
जो खुद को समझते हैं भगवान
तैयारी अपनी अधूरी है
इसलिए ये दूरी जरूरी है।

करो मानवता का सम्मान
अमूल्य यहां सबकी है जान
इस जान को हमें बचाना है
घर से बाहर नहीं जाना है।

अगर जाना अति जरूरी हो
तो ध्यान रहे, कुछ दूरी हो
मुंह-नाक को अपने बचाना है
इसीलिए तो मास्क लगाना है।

आकाश कुमार 'मंजीत'



























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