Friday, April 24, 2020

झगड़े वाली रात पत्नी के हालात

जिसकी नींद ना खुली बिजली के कड़कने से
उसे क्या फर्क पड़ेगा दिल के धड़कने से
पूरी रात सनम साथ थे हमारे,दिल फिर भी रोता रहा
और रातभर मेरा मुआं, घोड़ा बेचकर सोता रहा।।

उम्मीद जगी थी एक बार, एक हल्का स्पर्श था
रेखा लांघू, ना लांघू ये विमर्श था
आग तेज थी और दीवार भी ऊंची
लांघना मजबूरी थी और हारना आदर्श था।।

आगे भी कुछ रात ऐसी ही रही
दिलों में दूरी बनी रही
प्यास मिट ना सकी, ख्वाहिशें भी अधूरी रही
पर मिलन की कोशिश अपनी तरफ से पूरी रही।।

आकाश कुमार 'मंजीत'







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