दिल्ली 6 का गीत ससुराल गेंदा फूल आज हर एमपीथ्री मोबाईल में बज रहा है। खासकर युवा लड़कियां इस गीत को सुनने में लड़कों से आगे है। प्रसून जोशी का लिखा यह गीत ए आर रहमान के संगीत के साथ सुपरहिट हो गया है। एफएम रेडियो में बार - बार इस गीत को बजाया जा रहा है। फिल्म दिल्ली 6 के दस गीतों में ससुराल गेंदा फूल के अलावा मसकली भी काफी लोकप्रिय हुई है। इस फिल्म के निर्माता यूटीवी और राकेश ओम प्रकाश मेहरा है।
फिल्म में राकेश ओम प्रकाश मेहरा के निर्देशन में एक बंदर से दिल्ली के लोगों के बीच व्याप्त डर को अभिषेक बच्चन और सोनम कपूर के अभिनय के जरिये दिखाने की कोशिश किया गया है। निर्देशक ने लोगों को उनकी बेवजह डर को दिखाने का कोशिश किया है। फिल्म के माध्यम से यह संदेश जाता है कि मन में डर बैठा लेने से समस्या का समाधान नही हो सकता है।
फिल्म दिल्ली 6 का लोकप्रिय गीत ससुराल गेंदा फूल के जरिये ससुराल को एक गेंदा के फूल से तुलना की गयी है। गेंदा फूल की पंखुड़ियां आपस में कसी हुई होती है। आंधी तुफान, भारी बरसात और प्राकृतिक विपदा भी गेंदा फूल के पंखुड़ियों को अलग नही कर सकता। वहीं एक वधू अपने मायके से ससुराल पहुंच कर गेंदा फूल का एक पंखुड़ी बन जाती है। जिसके चारों ओर अन्य पंखुड़ियों के रुप में पति, ननद, देवर, सास और ससुर होते हैं।
इस गीत के जरिये ससुराल में एक वधू की दिनचर्या को दर्शाने की कोशिश की गयी है। गीत के मुताबिक जब पति अपनी पत्नी को छेड़ता है, तो ननद अपनी भाभी को आड़े हाथों लेती है, उसका मजाक बनाती है, और उसे चिढ़ाने से बाज नही आती। वहीं जब सास वधू को किसी काम के बहाने डांटती है तो देवर अपनी भाभी का पक्ष लेकर समझाता है कि यह तो मांजी की आदत है, इस बात को ज्यादा गंभीरता से लेने की जरुरत नही है। लेकिन सास की डांट के बाद वधू यह सोचने पर मजबूर होती है कि वह अपने पिता का स्नेह और घर छोड़कर अपने पति के घर आयी है। यहां सास और ससुर का प्यार मिले या ना मिले लेकिन पूरी जिंदगी पति के साथ ही गुजारना है। वह अपने पति को दूर जाने नही देना चाहती है। पति के दूर जाने पर उसके मन में एक डर पैदा हो जाती है। जिसका कोई निवारण नही मिलता देख वधू अपने पति को जाने से पहले जी भर के निहारती है।
ससुराल गेंदा फूल... वाकई अच्छा बन पड़ा है. गीत का मतलब समझाने का शुक्रिया.एक अच्छे लेख में मात्राओं ने मज़ा ख़राब कर दिया.
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