Thursday, March 18, 2010

मेरा गांव बच सके तो मेरी झोपड़ी जला दो............


भारतीय गणतंत्र की साठवीं सालगिरह की सुबह नई दिल्ली का ऐतिहासिक राजपथ घने कोहरे की चादर से ढका था। 5-10 मीटर के दायरे के बाहर कुछ नहीं दिख रहा था। लोग वायुसेना के जांबाजों के आसमानी करतब नहीं देख पाये। इसके बावजूद गणतंत्र दिवस परेड भव्य थी । लोंगो ने देश की सैन्य शक्ति और समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को महसूस किया।


कार्यक्रम की शुरुआत प्रधानमंत्री,राष्ट्रपति और कोरिया गणराज्य के राष्ट्रपति ली म्युंग के अतिथि मंच पर आगमन से हुई। इसके बाद राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रध्वज फहराया गया। बैंड द्बारा राष्ट्रगान की प्रस्तुति हुई और इक्कीस तोपों की सलामी दी गई।


सात बजे तक ऐसा लग रहा था कि मौसम साफ रहेगा और धूप खिलेगी। लेकिन सात बजे के बाद कोहरा छाने लगा। धुंध के कारण सड़क के उस पार बैठे लोगों को भी देखना मुश्किल हो गया। यहाँ तक कि अतिथि मंच भी नहीं दिखाई दे रहा था।

इसी मौसम में तय कार्यक्रम के मुताबिक दस बजे परेड आरम्भ हुई। परमवीर चक्र और अशोक चक्र विजेताओं के बाद घुड़सवार दस्ता राजपथ से होकर गुजरा। इसके बाद अर्जुन टैंक आया। एक-एक करके मल्टीपल रॉकेट लांच सिस्टम, इंजीनियर टोही वाहन- ‘सर्वत्र’ और संचार वाहन- ‘संयुक्ता’ का प्रदर्शन किया गया। राजपथ के दोनों तरफ लोग ही लोग दीख रहे थे। कड़ी ठंड और कुहासे के बावजूद लोगों की आँखों में उत्साह था,चमक थी। इसके बाद मार्च करती सेना की टुकड़ियाँ सामने से गुजरीं। कठोर अभ्यास से तराशी गई गति,एकता और लय अद्भुत थी।


डीआरडीओ (रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन) की ओर से हल्के लड़ाकू विमान तेजस, अग्नि-3 मिसाइल,शौर्य मिसइल और रोहिणी रेडार का प्रदर्शन किय गया।यह पहला मौका था जब तेजस राजपथ पर दुनिया के सामने आया। 3500 किमी रेंज की

अग्नि-3 मिसाइल को देखकर लोगों ने तालियों की गड़गड़ाहट से राष्ट्र भावना व्यक्त की।

सांस्कृतिक झांकी मनमोहक थी। राज्यों ने संस्कृति के विशिष्ट पहलू पेश किये। राजस्थान की ओर से जयपुर की खगोलीय वेधशाला की झांकी प्रस्तुत की गयी । मणिपुर की झांकी में “हियांग तनबा” दिखाया गया। हियांग तनबा एक परंपरागत नौकादौड़ है। इसका आयोजन राज्य की समृद्धि बढ़ाने के लिए किया जाता है। बिहार की झांकी में भागलपुर के रेशम उद्योग का प्रदर्शन किया गया। कर्नाटक की झांकी में आठवीं सदी में चालुक्य राजाओं द्वारा बनवाये गए पट्टादकल मंदिरों को दिखाया गया। मेघालय ने बांस ड्रिप सिंचाई को चित्रित किया। यह सिंचाई की 200 वर्ष पुरानी पद्धति है। जिसे खासी और जयंतिया पहाड़ियों के आदिवासी किसान सुपारी,पान या कालीमिर्च के फसलों के सिंचाई के लिये प्रयोग में लाते हैं। त्रिपुरा ने अपनी झांकी में महान संगीतकार सचिन देव बर्मन को दिखाया । जम्मू कश्मीर की झाँकी में राज्य के विभिन्न शिल्पों को दिखाया गया। छत्तीसगढ़ की झाँकी में कोटमसर की प्राचीन गुफाओँ के सौन्दर्य का चित्रण किया गया। केरल की झाँकी में वहाँ के एक धार्मिक त्यौहार ‘पदयानी’का चित्रण किया गया। पदयानी मध्य केरल में देवी काली के मंदिरों मे मनाया जाता है। इसमें सभी ग्रामीण जाति,पंथ के भेदभाव के बिना सक्रिय रूप में भाग लेते हैं। उत्तराखण्ड की झांकी में कुंभ मेले को दिखाया गया । समुद्र मंथन और हर की पौड़ी का दृश्य मनमोहक था ।


विभिन्न मंत्रालयों नें भी आकर्षक झांकियां प्रस्तुत कीं । संस्कृति मंत्रालय ने अपनी झांकी में भारत के वाद्य यंत्रो को दिखाया । इस झांकी में आभूषणो से अलंकृत वीणा,घुमावदार वाद्य यंत्र घुमसा , शंख, सुशीरावाद्य ,नाथवाद्य और बोर्तल का प्रदर्शन किया गया ।

रेल मंत्रालय की झांकी में भाप के इंजन को दिखाया गया । जनजातीय कार्य मंत्रालय की झांकी में वन्य अधिकार अधिनियम 2006 के जरिए देश की जनजातीय आबादी के अधिकारों को जनजातीय महिला की जीवंत मूर्ति के माध्यम से चित्रित किया गया । युवा कार्यक्रम तथा खेल मंत्रालय ने 19 वें राष्ठ्रमण्डल के आयोजन पर अपनी झांकी प्रस्तुत की । इसमें राष्ठ्रमंडल खेल 2010 के शुभंकर ‘शेरा’और स्टेडियमों

की झलक दिखायी गई । झांकियों के बाद राष्ट्रीय वीरता पुरुस्कार विजेता बच्चे राजपथ पर आये । लोगों ने हाथ हिलाकर उनका अभिवादन किया ।

सीमा सुरक्षा बल के जवानो नें मोटर साईकिलों पर करतब दिखाये । इन्हे देखकर रोंगटे खड़े हो गये। समारोह स्थल तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठा ।

अब तक मौसम साफ हो गया था । धूप खिल गयी थी । विमानों द्वारा सलामी हुई और मौसम विज्ञान विभाग की ओर गुब्बारे छोड़े गये ।

पूरे कार्यक्रम के दौरान कमेंन्ट्री अच्छी रही। अंत में कमेंटेटर ने कहा –लिव इंडिया, फील इंडिया , लव इंडिया और कहा कि, “मेरा गाँव बच सके तो मेरी झोपड़ी जला दो”। यही गणतंत्र की भावना है । कुर्बालनियों के बिना कोई देश महान नहीं बनता।

गणतंत्र दिवस इसी भावना की महान याद है ।

1 comment:

  1. मेरा गांव बच सके तो मेरी झोपड़ी जला दो............
    ये तो नहीं मिला पर गणतन्त्र दिवस की रिपोर्ट मिल गयी

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