उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव भले ही 26 माह बाद होने हैं। पर चुनावों की जमीन और सत्ता पर काबिज़ होने की धमक अभी से कानों में सुनाई पड़ने लगी है। फरवरी से उत्तर प्रदेश में प्रर्दशनों की बौछार विपक्षी पार्टियों की तरफ से राज्य में शासित बहुजन समाज पार्टी के लिए एक नई मुसीबत बनती जा रही है। कानपुर में हुए बलात्कार को लेकर कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी के नेतृत्व में किए गए प्रदर्शन से इसकी शुरूआत हुई । वहीं 25 फरवरी को भाजपा ने प्रदेश बंद का ऐलान कर एक नई चुनौती पेश की। उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री राजनाथ सिंह भी पानी की मोटी बौछारों के बीच 1 मार्च को राजधानी लखनऊ में महगांई को लेकर कुर्सी पटकते नजर आए। कांग्रेस और भाजपा का प्रदर्शन समाजवादी पार्टीं को कुछ बैचेन कर रहा था तो उसने भी 8 मार्च से गाँवों मे साइकिल रैली करने की घोषणा कर कर दी है। देश के सबसे बड़े राज्य पर राज करने वाली और हाथी को लखनऊ से नोएडा तक पत्थरों में सजाने वाली मुख्यमंत्री मायावती कैसे न अपनी हनक दिखातीं। रही सही कसर उन्होनें पूरी कर दी और 15 मार्च को बसपा पार्टी के स्थापना की रजत जयंती समारोह के मनाने के बहाने लखनऊ में एक विशाल रैली का आयाेिजत करने जा रही है जिससे विरोधी दलो को अपनी ताकत का एहसास कराया जा सके और विरोधी दल किसी तरह की गफलत में न दिखें। 1984 में बनी बसपा को अपनी रजत जयंती पिछले वर्ष 2009 में ही मनानी थी लेकिन लोकसभा चुनाव होने के कारण ये समोराह टाल दिया गया था। इस वर्ष 2010 में पार्टी के संस्थापक स्वर्गीय काशीराम के जन्म दिवस के अवसर पर विशाल रैली के साथ ही रजत जयंती समारोह मनाने की घोषणा की है। माया की नजर राहुल गांधाी पर भी है और राहुल की नजर अब रायबरेली, अमेठी से आगे जाकर कैफी आजमी के शहर आजमगढ़ और सूखे की मार झेल रहे बुदेलखंड पर इनायत हो गई है। अभी हाल में ही सोनिया गांधाी के संसदीय क्षेत्र रायबरेली में एक पुल के शिलान्यास से मचे विवाद की गूंज भी संसद में गूंजना दोनो पर्टियों के बीच सत्ता में काबिज रहने के लिए प्रयोग किए जाने वाले हथियारों की कहानी कह रही है। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में बहुजन समाज पार्टी के 226 विधायक हाथी पर सवार है, समाजवादी पार्टी के साइकिल के पहिए की हवा कम है पर 87 विधायक साइकिल चला रहे हैं। कमल के 48 फूल लिए भाजपा विधायक विधानसभा में हैं।कांग्रेस हाथ के पंजे के रूप में 20 विधायक और गन्ना किसानों का रस चूसने वाले राष्ट्रीय लोकदल के 10 विधायक हैं। नौ विधायकों जिसमें से कुछ बाहुबली का दर्जा पाए है को किसी पार्टी का साथ न मिला तो वो निर्दलीय ही हो गए। मायावती ने दरकिनार किया तो अपनी अलग राष्ट्रीय स्वाभिमान पार्टी बनाकर अपना स्वाभिमान बचाए रखे हुए आर0 के0 चौधरी हैं। डुमरियागंज की सीट अभी भी अपने विधायक के इंतज़ार में है।
सचिन यादव छात्र हिंदी पत्रकारिता भारतीय जनसंचार संस्थान, नयी दिल्ली।
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