Friday, April 10, 2009
एक और जूता
एक बार फ़िर जूता.....कहानी के किरदार अलग-अलग हैं लेकिन दोनों घटनाओ का अर्थ एक ही है ......भारत में जूता फेकने की घटना में पहले निशाना बने चिदंबरम ओर अब नवीन जिंदल .....भले ही जूते की शारीरिक मार से दोनों बच गए हो लेकिन मानसिक तौर पर इस जूते की मार दोनों के ऊपर पड़ी है......ये बात दोनों नेता समझ भी गए होगे......लेकिन ये वोटों की राजनीति का ही खेल है दोनों ने अपने ऊपर जूता फेकने वालों को माफ़ कर दिया वरना अगर चुनाव सर पर नही होते तो दोनों की खैर नही थी ......भले ही इन नेताओं ने इस घटना को यहीं छोड़ दिया हो लेकिन ये मामला काफी गंभीर है ......जूता फेकना फैशन बनता जा रहा है .......लेकिन ये लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत नही है इससे पूरे विश्व में भारतीय राजनीति की साख को बट्टा लगा है .......अमित
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