Saturday, January 24, 2009

जनता जर्नादन की जय



जो कुछ न समझे वो है जनता जर्नादन। जिसे सब भटकाये वो है जनता जर्नादन। जो बहकी बहकी बातों में आ जाये वो है जनता जर्नादन। जिसे कभी पुरे न होने वाले सपने दिखाया दिया जाये वो है जनता जर्नादन।
पिछले दिनों तमाड़ विधानसभा क्षेत्र से झारखण्ड राज्य के मुख्यमंत्री शिबु सोरेन को हराने वाले गोपाल कृष्ण पातर एक दिन में ही तमाड़ में ही नही पूरे झारखण्ड के हीरो बन गये। वैसे एक नजरिया ये भी है कि झारखण्ड से ही लंबे बालों के लिये प्रसिद्ध धोनी भी है और राज पीटर भी। एक मुख्यमंत्री को हराना वाकई में काबिले तारीफ है। लेकिन हमें उसके इतिहास को भी नही भूलना चाहिये।
राजा पीटर जमशेदपुर पुलिस का वारंटी रहा है। लगभग 25 केस में वो अधिकतर केस से बरी हो गया लेकिन कुछ केस में वो जमानत पर रिहा है। भारत मे लोकतांत्रिक व्यवस्था है। जबतक अपराध साबित न हो तबतक अभियुक्त को अपराधी नही कहा जा सकता है। भारतीय न्याय प्रणाली पर उंगली नही उठाया जा यकता लेकिन उसकी लचर व्यवस्था के बारे में कहा जा सकता है। अभियुक्त साक्ष्य को मुकरने पर विवश कर दे तो साक्ष्य के अभाव में अदालत अभियुक्त को बरी कर देता है। अदालत को सबूत चाहिये और अभियुक्त सबूत को ही मिटा दे तो न्याय प्रक्रिया का क्या दोष।
इसे इस संदर्भ में देखा जा सकता है। नरसिंहा राव की सरकार में सांसदों की खरीद फरोक्त मामला प्रकाश में आया था। जिसमें झारखण्ड मुक्ति मोर्चा ने कथित रुप से रिश्वत ली थी। इस मामले में झामुमो के ही इसबू सोरेन पर रिश्वत कॉड के गवाह शशिनाथ झा की हत्या का आरोप लगा था। जिसमें सीबीआई के विशेष अदालत ने शिबू को उम्रकैद की सजा सुनाई थी। बाद में उच्च न्यायालय ने शिबू सोरेन को बरी कर दिया। उस समय शिबु सोरेन केन्द्रीय कोयला मंत्री थे और भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में पहली बार किसी केन्द्रीय मंत्री को उम्रकैद की सजा हुई थी। इस पुरे प्रकरण में सबूतों के साथ खिलवाड़ किया गया था। पहुंच उंची रहने पर कुछ भी किया जा सकता है इसका प्रमाण देखने को मिला।
इधर पिछले दिनों राजा पीटर चुनाव जीतने के बाद पहली बार जमशेदपुर पधारे। जनता जर्नादन ने एक विधायक अर्थात जमशेदपुर पुलिस का अभियुक्त को जोरदार स्वागत किया । राजा ने अपने जनता को लुभाने के लिये कई डायलॉग मारे। आत्मसम्मान में उन्होंने कहा कि राजा नहीं मैं आंधी हूं झारखण्ड का गांधीं हूं। आज गांधीजी जीवित होते तो वे अपने प्रतिनिधि को देख चार आंसु जरुर बहाते। जमशेदपुर के टुइला डुंगरी में आयोजित सभा में उन्होंने जनता से लोक लुभावन बातें की। जनता बातें सुन ताली पीटने से न चुके। उन्होंने फिर एक बार कहा राज नही फकीर हूं जनता की तकदीर हूं। अब ये तो हद हो गयी कि कोई अपने को किसी का तकदीर घोषित कर रहा है।
आम जनता अपने अच्छे बुरे को क्यों नही समझ पाता है। कोई भी कुछ भी बोल देता है और वह मान जाता है। उसमें अपनी समझ क्यों नही है। क्या जनता अपने नेता कि लोकप्रियता को नही जानता। या यह माना जाये जिस नेता के पाले में जितनी अधिक अदालती केस है वो उतना ही जनता से सम्मान पाने का हकदार है। राजा पीटर के पाले में लगभग 25 केस थे। अधिकतर केस में वो बरी हो गया और कुछकेस में वो जमानत पर रिहा है। इसका मतलब यह है कि अदालती केस में वो सिल्वर जुबली मना चुका है और जल्द ही वह गोल्डन जुबली मनायेगा।

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