Tuesday, May 5, 2020

तर्क

पांच साल का किशु अपनी मां से कहता है- मां मुझे दीदी से मोबाइल दिला दो. मम्मी मना कर देती है. मम्मी प्लीज दिलवा दो ना. स्कूल खुल जाएगा तो टाइम नहीं मिलेगा. इस तर्क से मम्मी राजी हो जाती है. किशु को मोबाइल मिल जाता है.
 सात साल की पीहू अपने पापा से कहती है- पापा मुझे बैडमिंटन खेलना है. अरे नहीं आओ हमलोग लूडो खेलते है. ओह! पापा एक्सरसाइज भी तो जरूरी है. पापा पीहू को देखकर सोचने लगते हैं. फिर मुस्कुरा देते है. ये मुस्कुराहट हरी झंडी होती है. पीहू उछल पड़ती है.तर्क को जीत जाता है. लेकिन दो साल की काव्य को किसी भी तर्क की जरूरत नहीं होती. वो अपनी हर बात मनवा लेती है. आइसक्रीम की जिद हो, घूमने की जिद हो, या किसी और चीज के लिए सब पूरे हो जाते हैं. बशर्ते उसे किसी और बातों से ना बहला दिया जाए. इससे जाहिर होता है कि जब बच्चा धीरे धीरे तर्क करने लगता है.

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