Sunday, October 25, 2009

जीत तो आखिर जीत है




 

लोकसभा चुनावों के बाद पहले इम्तहान में कांग्रेस पास हो गई है। महाराष्ट्र जैसे बड़े राज्य में वह तीसरी बार सत्ता में लौटी है। हरियाणा में जहाँ क्लीन स्वीप की बात की जा रही थी,वहाँ कांग्रेस बमुश्किल सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है। अरूणाचल प्रदेश में परिणाम उम्मीद के अनुसार आये है।

 लेकिन जीत तो आखिर जीत होती है,इस बात से उसकी चमक कतई कम नही होती कि विपक्ष बिखरा हुआ था। जनता जनार्दन ने कांग्रेस के नेत़ृत्व में भरोसा जताया है। महाराष्ट्र में राज फैक्टर ने काम किया पर उतना नही जितना हाईलाइट किया जा रहा है। राज 2004 के चुनावों में शिवसेना-भाजपा के साथ थे, तब क्या हुआ था ? हरियाणा में हुड्डा का ओवरकोन्फिडेन्स कांग्रेस को ले डूबा।

खैर जो जीता वो सिकंदर, ये वक्त कांग्रेस के लिए जश्न मनाने का है। भाजपा को किसी एक सिर पर हार का ठीकरा फोड़ने की बजाय नेतृत्व में आमूलचूल परवर्तन करना चाहिए।


अरविन्द कुमार सेन

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