Tuesday, April 14, 2009

मत-दान कर



भारतीय लोकतंत्र में मुख्य रुप से दो ही नदियां बहती हैं। पहला यूपीए नदी और दूसरा एनडीए नदी। इसके कई समर्थक नदी हैं जो समय – समय पर दोनों नदियों को बहने में मदद करती है। बहने के क्रम में एक नदी मुख्यधारा की रुख में बहती है तो दूसरा धारा के विपरीत। हरेक पांच साल के बाद हुई बारिश में तय होता है कि दोनों नदियों में से कौन मुख्यधारा की ओर बहेगा । कहने का अर्थ यह है भारतीय नागरिक को हरेक पांच साल में यह अधिकार मिला हुआ है कि वह एक बूंद पानी अपनी स्वेच्छा से किसी भी नदी में डाल सकती है। इसके लिये भारतीय लोकतंत्र में सात सबसे बड़ी नदी, चालीस छोटी नदी और 980 सबसे छोटी नदियां हैं जो अंततः बहते हुये बड़ी नदियों में मिल जाती है। इससे यह तो साफ दिखता है कि भारतीय नागरिक अपनी पसंद की नदियों में अपना कीमती पानी का बूंद डाल रहे हैं लेकिन वास्तविकता यह है कि परोक्ष रुप से वह पानी तो बड़े दो नदियों में ही जाना है। इस बार कुल 71 करोड़ 40 लाख बूंद गिरने की संभावना है।
अभी बारिश का मौसम आ गया है। यह बारिश दो महीनों के अंदर पांच बार अलग – अलग जगहों में होगी। पहली बारिश में 17 राज्यों के 124 बादल शामिल होंगे। दूसरी बारिश में 13 राज्य के 141 बादल गरजेंगे। तीसरी बारिश में 11 राज्यों के 107 बादल से वर्षा होगी। चौथी बारिश में 8 राज्यों के 5 बादल ही गरज पायेंगे। पांचवी बारिश में 9 राज्यों के बचे हुये 6 ही बादल से बारिश होगी। इसके बाद मुख्यधारा की दिशा में कौन नदी बहेगी यह 16 मई के बाद तय होगा। जनता भले ही सोचसमझ कर अपने प्रत्याशी को वोट दे लेकिन नतीजा तो वही निकलेगा जो लगभग तय है।

1 comment: