Wednesday, January 27, 2010

इमोशनल अत्याचार : एक और रियलिटी शो

रियलिटी शो की कड़ी में एक और नाम जुड़ गया है और वह है, ‘बिंदास’ चैनल पर दिखाया जाने वाला ‘इमोशनल अत्याचार’। यह शो लोगों के निजता के मौलिक अधिकार का हनन करता है। वैसे तो चैनल वाले यह कह सकते हैं कि वे खुद थोड़े ही न किसी के पर्सनल लाइफ में ताक-झांक करते हैं। लोग खुद अपने पार्टनर की जासूसी के लिए उनके पास आते हैं। जासूसी करना गलत नहीं है। इससे पहले भी प्रेमी-प्रेमिका, पति-पत्नि और माता-पिता अपने बच्चों पर नजर रखने के लिए प्राइवेट जासूसों का सहारा लेते रहे हैं। शादी तय करने से पहले भी लड़की वाले लड़के के बारे में जानकारी लेने के लिए जासूसी करवाते रहे हैं। इसीलिए, जासूसी को गलत नहीं ठहराया जा सकता। गलत है, उसे सार्वजनिक रूप से दिखाना।

दूसरी बात जो इस शो को गलत ठहराती है, वह यह है कि इसमें व्यक्ति को फँसाने के लिए परिस्थिति तैयार की जाती है। हर व्यक्ति की कुछ-न-कुछ कमजोरियाँ होती हैं। चैनल का कोई व्यक्ति (लड़का / लड़की), जिसकी जासूसी की जानी होती है, उससे नजदीकी बढ़ाता या बढ़ाती है और इसतरह उसके चरित्र की परीक्षा की जाती है। जाहिर है, चारा डालकर शिकार को जाल में फँसाया जाता है। बात इतने तक ही नहीं रुकती बल्कि प्रेमी या प्रेमिका का एक-दूसरे पर राज खुलने के बाद उनके बीच हुई मार-पीट और हाथापाई को भी दिखाया जाता है।

इस तरह यह शो न केवल निजता के अधिकार का हनन करता है बल्कि अश्लीलता, गाली-गलौज और हिंसा को भी बढ़ावा देता है।

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