Monday, May 4, 2009

बदलता भारत का परिदृश्य

जैसे-जैसे लोकसभा चुनावों की तिथि नजदीक आती जा रही वैसे-वैसे पार्टीयों का चुनाव
प्रसार जोरों पर है। हर पार्टीया झूठे आश्वासन दे रही है जनता को में वो कर दिखाऊगा जो किसी ने नहीं किया और जितने के बाद बस मैं हुँ और कोइ नहीं....कसमें वादे प्यार वफा के वादे है,, वादों का क्या, कोइ किसी का नहीं सब नाते है, नातों का क्या। जी यही होता है, और यही होता रहेगा,.... आखिर कब तक ये नेता भोली भाली जनता को बेवकूफ बनाते रहेगें और राजनीती करते रहेगे। आज युवाओं का जज्बा भी मरता जा रहा है..... ऐसे में क्या करे युवा।
आज देश की राजनीती का भी यही हाल है, एक से बढकर एक भ्रष्ट राजनेता। आज देश को युवा नेताओं की जरूरत है, जो इस समपूर्ण परिदृश्य को बदल देगें ,मोदी का कहना सही है, काग्रेस बुढिया गुङिया हो गई है, लेकिन उनका कहना कहा तक सही है, ये उनसे बढकर कौन जान सकता है। इसे दोहराने की जरूरत नहीं सब जानते है। जनता को कोइ नई सरकार की जरूरत है, जो कुछ नया बदलाव लाये। काग्रेस की राजशाही से हम तंग आ गये। देश के सामने विकास ही मुदा नही है और भी मुदे है जिस पर हमें गोर करना करना बहुत जरूरी है।
देश के सामने अनेक चुनौतिया है गरीबी, बेरोजगारी , आतंकवाद, इन सबसे निपटने के लिये एक युवा व मजबूत नेता, एक निर्णायक सरकार की जरूरत हैं। जो हमें चुनना होगा,हमारा एक वोट पूरी राजनीती को बदल सकता है। वरना वो दिन दूर नहीं जब भारत की स्थिती ईराक जैसी हो जायेगी जिसके लिये जिम्मेदार हर इन्सान होगा। अत सोच समझ कर वोट करे।
आज पार्टियों की स्थिती बडी अजीबों गरीब है, सब की अपनी-अपनी विचारधारा तो है लेकिन सभी सत्ता के दोर में गिरते पङते भाग रहे है और इस दोर में अपनी ही विचारधारा को रोंद रहे है। सभी बहुमत पाना चाहती है, सभी के पास कुछ गिने चूने मुदे होते है, उन्हीं का वह ढोल पीटती रहती है, और उन्ही को वह चुनावी मुदा बनाती है, और मुदे भी उनके बेबुनियाद होते है। ऐसी है भारतीय राजनीती की वर्तमान नैया जो बीच मझधार में हिचकोले खा रही है। इसका खैवया तो हर कोइ बनना चाहता है, लेकिन न तो उसे नाव की दशा और दिशा का पता है।

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