Friday, April 30, 2010
आर, टीवी बैच की निरुपमा नहीं रही
नीरू के बारे में आत्महत्या की खबरें आ रही हैं । नीरू बिजनेस स्टैंडर्ड इंग्लिश की एक पत्रकार थी। वह किसी गांव, कस्बे की भोली, असहाय, परिवार पर निर्भर लड़की नहीं थी। जिसके पास अपने परिवार का तालिबानी फरमान मानने के अलावा कोई चारा ना रहा हो। इसलिए यह मसला आत्महत्या से ज्यादा कहीं और कुछ प्रतीत होता है। वह आत्म-निर्भर थी। अपने फैसले लेने का उसे पूरा हक था। जाहिर है इस शिक्षा और संस्कार ने ही उस में अपने फैसले खुद लेने की योग्यता भरी थी। वही लड़की जब दिल्ली से अपने माता-पिता को मनाने घर जाती है तो इतनी कमजोर हो जाती है कि आत्महत्या का निर्णय ले लेती है। ये बेहद आश्चर्यजनक है।
मुझे यहां बेंगलुरू में बैठ कर मोहल्ला और भड़ास फॉर मीडिया के माध्यम से जो खबरें मिलीं। उस से मुझे लगता है कि मामला सिर्फ इतना नहीं है। पोस्ट मार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही पता चलेगा कि असली बात क्या है? लेकिन हम सब जो पूरा साल प्रियभांशु और नीरू की प्रेमकहानी के गवाह रहे हैं। उनसे ये अपील है कि इस मामले को दबने ना दें। शायद यही वह इकलौती चीज है जो हम नीरू के लिए कर सकते हैं।
स्वागत का टेक्स्ट बदला
मित्रों!
आप सभी ने ' इसमंच का क्या करें ' वाली पोस्ट पढ़ी होगी। कुछ महत्वपूर्ण सुझाव आये हैं । आज से स्वागत का टेक्स्ट बदल दिया गया है ।
सुझाओं का अब भी स्वागत है।
संवाद
Wednesday, April 28, 2010
सब अपनई हयेन
Monday, April 19, 2010
'मेरी फितरत ऐसी तो नहीं थी'
Saturday, April 3, 2010
इस मंच का क्या करें
प्रिय दोस्तों !
आशा है आप सभी जहाँ भी हैं सकुशल हैं। पिछले कुछ वर्षों से संवाद के जरिये हम सब अपने को अभिव्यक्त करते रहें हैं। इसमें बुनियादी सूत्र आईआईएमसी रहा है। लेकिन आप सभी को पता होगा कि मै भौतिक रूप से आईआईएमसी में नहीं हूँ। हालाँकि इस परिवर्तन से आप सभी से लगाव में कोई फर्क पड़ा है ऐसा कत्तई नहीं है । परन्तु संवाद के परिचय में आईआईएमसी की कार्यशाला लिखकर चलाने में थोड़ी असुविधा लग रही है। क्योंकि आगामी बैच से मेरा सीधा वास्ता नहीं होगा ।
आप सभी की राय जानना चाहूँगा कि इस मंच का क्या करें ?
आप सभी के सुझाव का इंतजार रहेगा। उम्मीद है बातचीत से नयी राह मिलेगी ।
शुभकामनाओं सहित
संवाद