Monday, May 4, 2009
पप्पू मत बनिए, वोट दीजिए
पप्पू मत बनिये ! वोट दीजिए। वोटरों को उनके वोट की अहमियत बताने के लिए इस बार विज्ञापन पर अच्छी खासी रकम खर्च की गई। लेकिन चुनावों के तीन चरणों में जो वोटिंग प्रतिशत रहा उसे देखकर लगता है कि पप्पू फेल तो नहीं हुआ लेकिन कंपार्टमेंट जरुर ले आया। यहां पर पप्पू से तात्पर्य केवल युवा मतदाताओं से ही नहीं है बल्कि हर आयु वर्ग के वोटरों से है। लोकसभा चुनाव के पहले चरण में जहां साठ प्रतिशत वोटिंग हुई, वहीं दूसरे चरण में इसमें गिरावट आई और वोटिंग प्रतिशत केवल ५५ फीसद ही रहा जबकि तीसरे चरण तक आते-आते मतदान प्रतिशत के आंकड़ो में अतिरिक्त गिरावट आई और इस बार केवल ५० फीसदी ही वोटिंग हुई। कारण कुछ भी हो सकते हैं। कोई चिलचिलाती गर्मी को एक बड़ी वजह बता रहा है तो कोई अच्छे उम्मीदवारों के चुनाव मैदान में होने से वोटरों के मोहभंग होने को इसका एक बड़ा कारण मान रहा है। बहरहाल कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन अगर एक लोकतांत्रिक देश की जनता की ही लोकतंत्र के इस महापर्व में भागीदारी सुनिश्चित नहीं होगी तो चुनावों का आयोजन महज खानापूर्ति बनकर रह जायेगा।
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment