Wednesday, December 3, 2008

अब पाक भी हुआ मेहरबान...

मुंबई में हुए आतंकवादी हमले की जांच के लिये पाक ने भारत के साथ साझा जांच तंत्र गठित करने का प्रस्ताव अमेरिका के दबाव में आकर रखा है। पाक विदेश मंत्री शाह मेहमूद कुरैशी ने सरकारी टेलीविजन पीटीवी में जारी बयान में कहा कि भारत की मदद के लिये पाक एक जांच दल बनाने के लिये तैयार है। यह प्रस्ताव कुरैशी ने संयुक्त राष्ट्र के पी – 5 देश अमेरिका, ब्रिटेन, चीन, फ्रांस और रुस के राजदूत के साथ एक बैठक में रखा।
अबतक हुए बड़े आतंकी हमले के बाद यह संभव है कि हर कोई मदद के लिये हाथ बढ़ायेगा और सहानुभूति दिखा कर अपना हित साधने की कोशिश करेगा। मुंबई आतंकी हमले के बाद कई देशों ने घटना की कड़ी निंदा की साथ ही गहरी संवेदना भी प्रकट किया। उन देशों के द्वारा घटना की निंदा और संवेदना व्यक्त कर यह जताना की वह दुःख की घड़ी में भारत के साथ है तो यह बेमानी साबित होगा क्योंकि कोई भी बिना स्वार्थ के कुछ नहीं करता है। जबकि हकीकत यह है कि वह देश आतंकी घटना में मारे गये अपने नागरिकों के लिये बेचैन है कि वह अपने देश की जनता को क्या जवाब दे कि दुसरे देश में उसकी जनता के लिये सुरक्षा के क्या उपाये है।
भातर के मित्र देश घटना की जांच के लिये अपनी-अपनी जांच एजेंसी को भेजा है। यहां भी उनका स्वार्थ साफ झलकता है। वे देश जो घटना की जांच के लिये आतुर है वह इसलिये कि उनके देश के भी नागरिक मारे गये हैं।
अगर पाक की बात करें तो उन्होंने मदद के लिये साझा जांच दल गठन करने का प्रस्ताव भेज कर इतिश्री कर लिया है। इस मामले में पाक भारतीय जांच एजेंसी को पाक में जांच करने के लिये पूरी छूट मुहैया करा सकती थी अगर उसकी नियती साफ होती। इसका सीधा अर्थ निकलता है कि पाक भारतीय जांच एजेंसी को गुमराह करना चाहती है। क्योंकि जांच के दौरान पाक अधिकारी भारतीय जांच अधिकारी को वही दिखायेंगे जो पाक सरकार दिखाना चाहती है।
पाक यदि भारत की मदद करना चाहता है तो वह अपने देश और पाक अधिकृत कश्मीर में सभी आतंकवादी शिविरों को ध्वस्त कर दे और आतंकवादियों को शरण देना बंद कर दे।

No comments:

Post a Comment