Thursday, August 6, 2020

काश!

किस बात से हैरान हूं?
क्यों आजकल परेशान हूं?
किस सच से अंजान हूं?
क्यों आज भी नादान हूं?
काश! ये कह पाता ।

हर जगह धोखा और मक्कारी है
संतोष पर लालच भारी है
झूठ बोलना क्यों लाचारी है?
हर जन को आज ये बीमारी है
काश! मैं सह पाता।


जमाने से बहुत पीछे हूं
लगता है धरातल से नीचे हूं
ठोकर से भी नहीं सीखा हूं
क्यों बंद पड़ा झरोखा हूं?
काश! कुछ कर पाता।







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