तम हटे, गम हटे, मिटे क्लेश सारा
खुशियों से जगमग हो घर ये हमारा।
जीवन तो दीपक है, हरपल ये जलता है
आंधी हो, तूफान हो चलता ही रहता है।
शिक्षक की भांति ये पाठ भी सिखाता है
अंधेरे में रहकर भी रौशनी दिखता है।
दीपक नई ऊर्जा है, आलस मिटाता है
दूर एक पंथी को राह भी दिखता है।
सेवा में दीपक के दुभ,हल्दी चंदन है
जग की इस ज्योति को मेरा अभिनन्दन है।
आकाश कुमार 'मंजीत'
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