Tuesday, December 29, 2009

न्याय या अन्याय

ये कैसा न्याय मिला रूचिका को। इतने सालों के संघर्ष के बाद आखिरकार फैसला आया लेकिन सजा मिली केवल छ: महीने की। शायद यही वजह है कि हमारे देश में लोगों का पुलिस और न्यायपालिका से विश्वास उठता जा रहा है। अगर रूचिका आज जिंदा होती तो इस न्याय को पाने के बाद उसने सचमुच आत्महत्या कर ली होती। ऐसा न्याय आम लोगों को लड़ने के लिए प्रोत्साहन नहीं देता बल्कि उन्हें और तोड़ देता है।

हम केवल उम्मीद कर सकते हैं कि शायद रूचिका की वजह से हमारी न्याय प्रणाली में व्याप्त खामियों का कोई समाधान ढ़ूढ़ने की सार्थक पहल की जाएगी।

1 comment:

  1. कई खामियां हैं आप उसे आज से ही ढूंढ़ने निकलें। मेरी शुभकामनाएं आपके साथ है...

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