Tuesday, September 8, 2009

मित्रों को प्रेषित ...

प्रिय मित्रों
यथोचित भाव
आशा ही नही वरन पूर्ण विश्वास हैं कि आप सभी स्वस्थ और सानंद पूर्वक जीवन की जिम्मेदारियों का कुशलतापूर्वक निर्वहन कर रहें होंगे।
भारतीय जन संचार संस्थान के नौ महीने के पाठ्यक्रम के दौरान आप सभी का स्नेह गाहे -बगाहे पाता रहा । वहां रहने के दौरान कई लोगों से अति निकटता हुयी वही दूसरी ओर कुछ मित्रों से क्षणिक दुराव भी हुए। पत्रकारिता की पढाईके दौरान "camunication " पर काफ़ी जोर दिया जाता था। दिल्ली से आने के बाद आप सभी से बेहतर संवाद स्थापित करने में विफल रहा। यदि बहने या दलील दूँ तो कई गिना सकता हूँ । संक्षेप में यही कहना चाहता हूँ कि भावनात्मक हिंसा का शिकारहो गया था ।जख्म इतने गहरे थे कि स्वयं की पीड़ा दूर करने के विषय में ही सोचता रहा ।
खैर आप सभी के पास पत्र लिखने का एक मात्र उद्देश्य यह है कि यदि सम्भव हो तो अपने दिलों में मेरे लिए कुछ स्थान आरक्षित करने कि महती कृपा करें। दीक्षांत समारोह में शारीरिक उपस्थिति तो नही रहेगी लेकिन यकीन मानिये भावनात्मक रूप से आप सभी के बीच रहूँगा। मोबाइल भी नही रख रहा हूँ इसलिए पुनः संवादहीनता की स्थिति उत्पन्न होगी। लेकिन ई मेल और ऑरकुट के माध्यम से जुडा रहूँगा।
अंततः एक विनम्र निवेदन यह है कि यदि हो सके तो दीक्षांत समारोह के बाद दो मिनट मेरे साथ बिताएं गए पलों के बारे में सोच लेंगे तो यह मेरे लिए सबसे बड़ा संबल होगा।
आप सभी के उत्तरोतर प्रगति का आकांक्षी ...
आपका तथाकथित दक्षिणपंथी साथी
मशाल

1 comment:

  1. Sir please check your words because it is EXCEPTION NOT SISTER.

    PLEASE READ IT.

    PAVITRA KUMAR

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